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बाबुल -11-Apr-2024

प्रतियोगिता हेतु 
दिनांक: 11/04/2024
बाबुल 

तेरे अंग का टुकड़ा हूँ मैं,
क्या मेरी विदाई कर पायेगा?
दूसरे के हाथो में कैसे,
मेरा हाथ तू थमायेगा?

तेरे आँगन की चिड़िया हूँ मैं,
कल तक फुदकती थी यहाँ।
उस आँगन को कल मेरे बिना
क्या तू खाली देख पायेगा?

बाबुल मोरे! तेरे हृदय का टुकड़ा हूँ 
दूजे घर कल चली जाऊंगी?
तेरी याद सतायेगी , पर मैं 
जी भरकर रो भी ना पाऊगीं।

दूल्हा आयेगा डोली लेकर ,
अपने संग मुझे ले जायेगा।
मेरी जाती डोली को तू बाबुल,
भला कैसे देख पायेगा?

बड़ी हिम्मत चाहिए मन में,
अपनी बेटी सौंप देते दूसरे को।
जिसको जन्म दिया दर्द सहकर,
हाथ पकड़ा देते उसका दूसरे को।

आँखे भर आती हैं, 
हृदय विचलित हो जाता है।
जब बेटी की शादी का जोड़ा,
बाबुल के घर आता है।

बेटी रहे सदा खुश और आबाद,
मन से यही दुआ निकलती है।
बसा रहे उसका घर -आँगन,
बाबुल की याद उसे भी आती है।


फिर भी ना जाने क्यूँ?
मन में एक प्रश्न सदा रहेगा।
क्यूँ बनाया यह नियम ?
लड़की को दूजे घर जाना पड़ेगा।

शाहाना परवीन'शान'...✍️

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3 Comments

Mohammed urooj khan

16-Apr-2024 11:46 PM

👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾

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kashish

12-Apr-2024 02:53 PM

Amazing

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Varsha_Upadhyay

11-Apr-2024 10:27 PM

Nice

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